लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास “वही है, बिल्कुल वही !” मेजर कवाल्योव बड़बड़ाया।........ लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास “वही है, बिल्कुल वही !” मेजर कव...
फलस्वरूप में इनाम नहीं मिला, मिट्टी ही मिला। फलस्वरूप में इनाम नहीं मिला, मिट्टी ही मिला।
लगा मुझको कच्चा ही चबा जाएगा। लगा मुझको कच्चा ही चबा जाएगा।
अरे नहीं भाईजान…आपको मेरी भी उम्र लग जाए..आप तो फरिश्ते हैं अरे नहीं भाईजान…आपको मेरी भी उम्र लग जाए..आप तो फरिश्ते हैं
इस कहानी को पढ़ने से पहले इस कहानी के पिछले आठ भागों को पढ़ें। अब तक...... सहस्र बाहु ... इस कहानी को पढ़ने से पहले इस कहानी के पिछले आठ भागों को पढ़ें। अब तक........
एक भूतिया कथा, जिसमे अंत तक असलियत और वहम आपको उलझाए रहता है। एक भूतिया कथा, जिसमे अंत तक असलियत और वहम आपको उलझाए रहता है।